रोग हेतुविज्ञान की दृष्टि से प्राय: सभी वंशागत अर्जित रोगों का स्थूल वर्गीकरण इस प्रकार संभव है:
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रोग हेतुविज्ञान की दृष्टि से प्राय: सभी वंशागत अर्जित रोगों का स्थूल वर्गीकरण इस प्रकार संभव है:
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जैसे, ” मेरे मन को बड़ा दु: ख हु आ. ” इसीप्रकार को-वाक्य का सक्रिय कर्ता नहीं हो सकता, क्योंकि इसमें स्वेच्छा का अभाव होता है. प्रो. सिंह ने ऐसे सभी भावों या अर्थतत्वों को को-भाव कहा है, जो अपनी अभिव्यक्ति के लिए को-वाक्य की आकांक्षा करते हैं. प्रो. सिंह ने कुछ विशिष्ट आर्थी लक्षणों के आधार पर को-भावों का एक स्थूल वर्गीकरण किया है: